'दुर्लभ, अद्वितीय': 2022 में दियोदर उल्कापिंड 170 वर्षों में भारत का पहला औब्राइट
- फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद में वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा हाल ही में किए गए एक विश्लेषण से पता चला है कि गुजरात के दो गांव ऑब्राइट उल्कापिंडों की चपेट में आ गए थे।
- जिस तालुका में गाँव स्थित हैं, उसके बाद दो गाँवों को दियोदर उल्कापिंड का नाम दिया गया है।
- यह भारत में ऑब्राइट की केवल दूसरी दर्ज की गई दुर्घटना है। आखिरी 2 दिसंबर, 1852 को बस्ती, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
ऑब्राइट उल्कापिंड
- ऑब्राइट उल्कापिंड मोटे दाने वाली आग्नेय चट्टानें हैं जो ऑक्सीजन-खराब परिस्थितियों में बनती हैं।
- इनमें विभिन्न प्रकार के अद्वितीय खनिज होते हैं जो पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं।
- गुजरात में हाल ही में पाया गया ऑब्राइट उल्कापिंड ऑर्थोपाइरोक्सीन से बना है।
पाइरोक्सीन क्या हैं?
- पाइरोक्सीन सिलिकेट होते हैं जिनमें सिलिका टेट्राहेड्रा (SiO4) की एकल श्रृंखला होती है।
- डायोपसाइड और जेडाइट जैसे पाइरोक्सीन का उपयोग रत्नों के रूप में किया गया है।
- स्पोड्यूमिन का ऐतिहासिक रूप से लिथियम अयस्क के रूप में उपयोग किया गया था और पाइरोक्सीन के साथ चट्टानों का उपयोग पिसा हुआ पत्थर बनाने के लिए भी किया गया है जिसका उपयोग निर्माण में किया जाता है।