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संस्कृति मंत्रालय ने 46वीं विश्व धरोहर समिति बैठक हेतु प्रोजेक्ट PARI की शुरुआत की

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संस्कृति मंत्रालय ने 46वीं विश्व धरोहर समिति बैठक हेतु प्रोजेक्ट PARI की शुरुआत की

  • भारत के सार्वजनिक कला स्थल हमारी लोक कला और लोक संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। जब हम सार्वजनिक कला की बात करते हैं, तो यह बहुत गतिशील होती है और अतीत, वर्तमान और भविष्य का एक प्रतिच्छेदन होती है। इसके माध्यम से हम पारंपरिक और समकालीन जैसे विभिन्न कला रूपों में विभिन्न विचारों का समामेलन देख सकते हैं।

मुख्य बिंदु

  • तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ, सार्वजनिक कला विशिष्टता की भावना को बढ़ाती है तथा शहर की छवि में सौंदर्यात्मक मूल्य जोड़ती है।
  • संस्कृति मंत्रालय ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के अवसर पर प्रोजेक्ट PARI (भारत की सार्वजनिक कला) की शुरुआत की है।
    • इसके तहत संस्कृति मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संस्था ललित कला अकादमी ने देश भर से 150 से अधिक दृश्य कलाकारों को आमंत्रित किया है।
    • प्रोजेक्ट PARI का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी की ऐतिहासिक विरासत में भव्यता जोड़ते हुए दिल्ली के सौंदर्य और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को उन्नत करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

प्रोजेक्ट PARI का महत्व

  • सार्वजनिक स्थानों पर कला का प्रतिनिधित्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।
  • सड़कों, पार्कों और परिवहन केन्द्रों में कला को एकीकृत करके, ये पहल यह सुनिश्चित करती हैं कि कलात्मक अनुभव सभी के लिए उपलब्ध हों।
  • प्रोजेक्ट PARI, दिल्ली में भारत की समृद्ध और विविध कलात्मक विरासत को समाहित करने के साथ-साथ समकालीन विषयों और अभिव्यक्तियों को अपनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

प्रदर्शित कला रूप

  • रचनात्मक कैनवास में फड़ चित्रकला (राजस्थान), थंगका चित्रकला (सिक्किम/लद्दाख), लघु चित्रकला (हिमाचल प्रदेश), गोंड कला (मध्य प्रदेश), तंजौर चित्रकला (तमिलनाडु), कलमकारी (आंध्र प्रदेश), अल्पना कला (पश्चिम बंगाल), चेरियल चित्रकला (तेलंगाना), पिछवाई चित्रकला (राजस्थान), लांजिया सौरा (ओडिशा), पट्टचित्र (पश्चिम बंगाल), बानी थानी चित्रकला (राजस्थान), वारली (महाराष्ट्र), पिथौरा कला (गुजरात), ऐपण (उत्तराखंड), केरल भित्ति चित्र (केरल), अल्पना कला (त्रिपुरा) और अन्य शैलियों से प्रेरित और/या चित्रित कलाकृतियां शामिल हैं, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।
  • इसके अलावा, प्रस्तावित 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के अनुरूप, कुछ कलाकृतियां और मूर्तियां विश्व धरोहर स्थलों जैसे बिम्बेटका से प्रेरणा लेती हैं और भारत के 7 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों को प्रस्तावित कलाकृतियों में विशेष स्थान दिया गया है।
  • नागरिकों को शामिल करके और एक साझा सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देकर, यह पहल न केवल शहरी परिदृश्य को समृद्ध करती है, बल्कि हमारी विरासत के साथ गहरा जुड़ाव भी उत्त्पन्न करती है।

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