पेटास्केल सुपरकंप्यूटर "परम गंगा" IIT रुड़की में स्थापित किया गया
- इसे राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत विकसित किया जा रहा है।
- इसका उद्देश्य विज्ञान और इंजीनियरिंग के बहुविषयक क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में तेजी लाने के लिए सुपर कंप्यूटर की उपलब्धता को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन में शामिल अन्य संस्थान
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित।
- सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) द्वारा कार्यान्वित।
- NSM के 4 प्रमुख स्तंभ:
- अवसंरचना
- अनुप्रयोग
- R&D
- HRD
संस्थाएं जिनको प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी गई
- C-DAC को सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम के डिजाइन, विकास, परिनियोजन और चालू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- मिशन 64 से अधिक पेटाफ्लॉप्स की संचयी गणना शक्ति के साथ 24 सुविधाओं के निर्माण और तैनाती की योजना बना रहा है।
- C-DAC ने IIS, IIT, IISER पुणे, JNCASR, NABI-मोहाली में NSM फेज-1 और फेज-2 के तहत 20 से अधिक पेटाफ्लॉप्स की संचयी गणना शक्ति के साथ 11 प्रणालियों को पहले ही तैनात कर दिया है।
- NSM सिस्टम पर अब तक देश भर में लगभग 3600 शोधकर्ताओं द्वारा कुल 36,00,000 कम्प्यूटेशनल कार्य सफलतापूर्वक पूरी की गई हैं।
- C-DAC चरणबद्ध तरीके से एक स्वदेशी सुपरकंप्यूटिंग पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है, जिससे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित सुपर कंप्यूटर तैयार किए जा रहे हैं।
- इसने एक कंप्यूटर सर्वर ""रुद्र"" और हाई-स्पीड इंटरकनेक्ट ""त्रिनेत्र"" को डिज़ाइन और विकसित किया है जो सुपर कंप्यूटर के लिए आवश्यक प्रमुख उप-असेंबली हैं।
NSM के तहत कुछ बड़े पैमाने के एप्लिकेशन विकसित किए जा रहे हैं
- जीनोमिक्स और ड्रग डिस्कवरी के लिए NSM प्लेटफॉर्म।
- शहरी मॉडलिंग: शहरी पर्यावरण मुद्दों (मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, वायु गुणवत्ता) को संबोधित करने के लिए विज्ञान आधारित निर्णय समर्थन ढांचा।
- भारत के नदी घाटियों के लिए बाढ़ संबंधी पूर्व चेतावनी और भविष्यवाणी प्रणाली।
- तेल और गैस अन्वेषण में सहायता के लिए भूकंपीय इमेजिंग के लिए HPC सॉफ्टवेयर सूट।
- MPPLAB: टेलीकॉम नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन।
परम गंगा: एक सुपर कंप्यूटर
- इसमें 1.66 पेटाफ्लॉप्स की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता है।
- सिस्टम को NSM के निर्माण दृष्टिकोण के चरण 2 के तहत C-DAC द्वारा डिजाइन और चालू किया गया है।
- इस प्रणाली को बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पर्याप्त घटक C-DAC द्वारा विकसित एक स्वदेशी सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ भारत के भीतर निर्मित और असेंबल किए जाते हैं।
- यह IIT रुड़की और पड़ोसी शैक्षणिक संस्थानों के उपयोगकर्ता समुदाय को कम्प्यूटेशनल शक्ति प्रदान करेगा।
निष्कर्ष
- घटक और आवश्यक उपकरण बनाना सरकार की मेक इन इंडिया पहल की दिशा में एक कदम है।
- ऐसे सुपरकंप्यूटर की उपलब्धता से विज्ञान और इंजीनियरिंग के बहु-विषयक क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास गतिविधियों में तेजी आएगी।