30 जनवरी अब 'विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस'
- विश्व स्वास्थ्य सभा के 74 वें सत्र में, सभी प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात द्वारा 30 जनवरी को 'विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) दिवस' के रूप में घोषित करने हेतु प्रस्तुत किये गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है।
- इस दिन, 30 जनवरी, 2012 को ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों’ पर ‘लंदन घोषणा’ लागू की गई थी।
- अनौपचारिक रूप से, पहला NTD दिवस वर्ष 2020 में मनाया गया था।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों
- ये संक्रमण अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों में सबसे आम हैं।
- वे विभिन्न प्रकार के रोगजनकों जैसे वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और परजीवी कीड़े के कारण होते हैं।
- वे आमतौर पर तपेदिक, एचआईवी-एड्स और मलेरिया जैसी बीमारियों की तुलना में अनुसंधान और उपचार के लिए कम धन प्राप्त करते हैं।
- सर्पदंश, खाज-खुजली, याज़, ट्रेकोमा, काला-अज़ार, चागास आदि, ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों’ के कुछ उदहारण हैं।
‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों’ के उन्मूलन हेतु तीन रणनीतिक बदलावों का आह्वान करने वाला, डब्लूएचओ का वर्ष 2021-2030 के लिए नया रोड मैप:
- प्रक्रिया को मापने की बजाय प्रभाव को मापा जाएगा।
- रोग-विशिष्ट योजना और प्रोग्रामिंग के स्थान पर सभी क्षेत्रों में सहयोगात्मक कार्य तक शुरू किया जाएगा।
- बाह्यरूप से संचालित एजेंडा के स्थान पर देश के स्वामित्व में और देश द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी।
भारत में उपेक्षित बीमारियों पर अनुसंधान हेतु नीतियां:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017)
- इस योजना में स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है और सर्वाधिक जरूरतमंद लोगों तक सस्ती नई दवाईयों की पहुँच सुनिश्चित की गयी, लेकिन इसमें विशेष रूप से उपेक्षित बीमारियों से निपटने का प्रावधान नहीं किया गया है।
- दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु राष्ट्रीय नीति (2018)
- इस नीति में संक्रामक उष्णकटिबंधीय बीमारीयों को शामिल किया गया हैं तथा इसमें दुर्लभ बीमारियों के उपचार पर अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।
- किंतु, इस नीति के तहत अनुसंधान वित्तपोषण हेतु अभी तक रोगों और क्षेत्रों की प्राथमिकता निर्धारित नहीं की गयी है।