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भारत की भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को की स्मृति में शामिल

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भारत की भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को की स्मृति में शामिल

| श्रेणी | विवरण | |--------------------------|-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | यूनेस्को की 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में भारत की भगवत गीता की पांडुलिपियाँ और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र शामिल। | | समावेश की तिथि | 17 अप्रैल, 2025 | | कुल भारतीय प्रविष्टियाँ | अब सूची में 14 दस्तावेजी विरासतें अंकित हैं। | | वैश्विक परिवर्धन (2025) | विश्व स्तर पर 74 नए संग्रह जोड़े गए, जिससे कुल संख्या 570 हो गई। | | भगवत गीता | - हिंदू धर्म का मूल आध्यात्मिक ग्रंथ, महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा।<br>- विश्व स्तर पर लगभग 80 भाषाओं में अनुवादित। | | नाट्यशास्त्र | - भरत मुनि द्वारा नाट्यकला, रंगमंच और प्रदर्शन कला पर प्राचीन ग्रंथ। नाटयशास्त्र अभिनय, मंच डिजाइन, संगीत, नृत्य और सौंदर्यशास्त्र (रस सिद्धांत) को शामिल करता है। यह शास्त्रीय भारतीय नृत्य और नाटक की नींव है। | | यूनेस्को का कथन | महानिदेशक ऑड्रे अज़ूले ने मानवीय स्मृति के लिए दस्तावेजी विरासत की नाजुकता और महत्व पर जोर दिया। | | मेमोरी ऑफ वर्ल्ड प्रोग्राम | - 1992 में स्थापित।<br>- वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को संरक्षित करने और उस तक पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से।<br>- क्षेत्रीय, राष्ट्रीय रजिस्टरों और वैश्विक अभिलेखीय पहलों का समर्थन करता है। |

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