हिमाचल प्रदेश द्वारा ओलावृष्टि रोधी बंदूक परीक्षण
- ओलावृष्टि से फसल को हुए नुकसान का सामना करने वाले बागवानों की मदद के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार स्वदेशी रूप से विकसित ‘ओलावृष्टि रोधी बंदूक’ के उपयोग का परीक्षण करेगी।
- ओलों का निर्माण ‘कपासी वर्षा मेघों’ द्वारा होता है जो आमतौर पर काले बादल होतें हैं, जिनमे गरज के साथ बिजली चमकती है।
- यह बादलों में ओलों के विकास को बाधित करने के लिए ‘आघात तरंगें’ उत्पन्न करने वाली एक मशीन है।
‘ओलावृष्टि रोधी बंदूक’ (Anti-Hail Guns)
- यह एक उल्टे टावर से मिलता-जुलता कई मीटर ऊँचा एक स्थिर ढांचा होता है और इसमें आकाश की ओर खुलने वाली एक लंबी और संकीर्ण शंक्वाकार नली लगी होती है।
- बंदूक के निचले हिस्से में एसिटिलीन गैस और हवा का विस्फोटक मिश्रण भरकर, इसे दागा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ‘शॉक वेव्स’ निकलती हैं।
- इन ‘शॉक वेव्स’ की गति सुपरसोनिक विमान से निकलने वाली तरंगों की भांति ध्वनि की गति से तेज होती है।
- ये शॉक वेव्स बादलों में जल-बूंदों को ओलों में बदलने से रोक देगी, जिससे कि ये साधारण बारिश की बूंदों के रूप में नीचे गिरेंगी।
- हर बार गर्मियों में, मार्च से मई तक, हिमाचल के फल उत्पादक क्षेत्रों में होने वाली लगातार ओलावृष्टि से सेब, नाशपाती और अन्य फसलें नष्ट हो जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।
- नारकंडा और ठियोग जैसे कुछ ओला प्रवण क्षेत्रों में, कभी-कभी इस प्रकार के तूफानों से किसी बाग में सेब की पूरी फसल नष्ट हो जाती है।