आकाश-एनजी मिसाइल
- डीआरडीओ द्वारा सर्फेस-टू-एयर मिसाइल की एक नई पीढ़ी का, हवाई रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए, ओडिशा तट से एक एकीकृत परीक्षण रेंज से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया।
- मिसाइल का परीक्षण भूमि-आधारित प्लेटफॉर्म से किया गया था, और पूरे उड़ान डेटा से इसकी हथियार प्रणाली के "निर्दोष प्रदर्शन" की पुष्टि हुई थी।
- एक बार तैनात होने के बाद, आकाश-एनजी हथियार प्रणाली भारतीय वायुसेना की वायु रक्षा क्षमता के लिए एक बल गुणक के रूप में काम करेगी।
आकाश-एनजी मिसाइल
- यह एक सर्फेस-टू-एयर मिसाइल है।
- यह आकाश मिसाइल का एक नया संस्करण है, जो लगभग 60 कि.मी की दूरी से लक्ष्य पर हमला कर सकता है, और 2.5 मच तक की गति से उड़ सकता है।
- इसमें हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए उच्च गतिशीलता है।
आकाश मिसाइल प्रणाली
- यह DRDO द्वारा विकसित एक सभी मौसम में उपयुक्त होने वाली,मध्यम दूरी की, सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) प्रणाली है।
- मिसाइल को एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (इंटिग्रेटेड गाईडेड-मिसाईल डेवलोप्मेंट प्रोगरम, IGMDP) के तहत विकसित किया गया था।
- आकाश में 96 प्रतिशत से अधिक सामग्री स्वदेशीकृत है।
- इसकी रेंज 25 किलोमीटर है।
- मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना (IAF) और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
- यह बहुआयामी और बहु-लक्ष्य क्षेत्र रक्षा प्रदान करता है।
- आकाश मिसाइल को स्थिर या मोबाइल प्लेटफॉर्म, जैसे युद्धक टैंक से लॉन्च किया जा सकता है, जो लचीला प्रस्तरण प्रदान करते हैं।
- यह कई लक्ष्यों को संभाल सकता है और मानव रहित हवाई वाहनों (अनमैन्ड एरियल वहिकल्स, UAV), लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइलों और हेलीकॉप्टरों से प्रक्षेपित मिसाइलों जैसे युद्धाभ्यास लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है।
- आकाश SAM प्रणाली कमजोर क्षेत्रों को निम्न, मध्यम और उच्च एल्टिट्यूड से होने वाले हमले से बचाती है।
- मिसाइल को लक्ष्य की ओर मार्गदर्शन करने के लिए राजेंद्र राडार द्वारा मदद मिलती है।
एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP)
- IGMDP, मिसाइलों की व्यापक रेंज के अनुसंधान और विकास के लिए, भारतीय रक्षा मंत्रालय का एक कार्यक्रम था।
- 26 जुलाई, 1983 को इन पांच मिसाइलों को विकसित करने की मंजूरी दी गई: पृथ्वी, अग्नि, आकाश, त्रिशूल और नाग।
- यह कार्यक्रम 2008 में समाप्त हुआ।