आदित्य L1 अंतरिक्ष यान L1 बिंदु की 110 दिन की यात्रा पर रवाना
- हाल ही में इसरो ने ट्रांस-लाग्रांजियन 1 इंसर्शन (TL1I) को अंजाम दिया।
- सूर्य का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला आदित्य-L1, लाग्रांजियन 1 (L1) बिंदु की ओर अग्रसर है।
- TL1I आदित्य-L1 की L1 बिंदु की ओर 110-दिवसीय यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है जो सूर्य-पृथ्वी रेखा के बीच स्थित है।
आदित्य-L1 मिशन
- इसरो द्वारा L1 कक्षा में लॉन्च किया गया जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।
- अंतरिक्ष यान को L1 तक पहुँचने में 120 दिन से अधिक समय लगने की उम्मीद है ।
- यह कक्षा आदित्य-L1 को बिना किसी प्रच्छादन/ग्रहणों के लगातार सूर्य को देखने की अनुमति देती है ।
उद्देश्य
- सूर्य के कोरोना, सूर्य के प्रकाश मंडल, क्रोमोस्फीयर, सौर उत्सर्जन, सौर हवाओं और ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) का अध्ययन करना ।
- सूर्य की चौबीसों घंटे इमेजिंग करना।
लॉन्च वाहन और पेलोड
- आदित्य L1 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा।
- इसने 2008 में चंद्रयान-1 और 2013 में मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान को भी लॉन्च किया।
- मिशन में 7 पेलोड (उपकरण) होंगे।
- VELC
- सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
- सौर लो ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
- आदित्य सौर वायु कण प्रयोग (ASPEX)
- उच्च ऊर्जा L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
- आदित्य के लिए प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज (PAPA)
- उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर
L1 क्या है?
- यह पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के कक्षीय तल में पांच बिंदुओं में से एक लाग्रांजियन/लाग्रेंज पॉइंट 1 को संदर्भित करता है।
- ये अंतरिक्ष में स्थितियाँ हैं जहाँ दो बड़े द्रव्यमानों का संयुक्त गुरुत्वाकर्षण खिंचाव मोटे तौर पर एक दूसरे को संतुलित करता है।
- इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है।
प्रीलिम्स टेकअवे
- आदित्य-L1 मिशन
- लाग्रेंज पॉइंट
- इसरो