"सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों" के नामांकन सूची में 3 भारतीय गांव
- तीन भारतीय गांवों ने संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों' के नामांकन में प्रवेश किया है।
- विश्व पर्यटन संगठन ने सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों का निमंत्रण किया है, जिसके लिए आवेदन 15 सितंबर, 2021 को समाप्त होंगे।
- UNWTO दुनिया भर में उन गांवों को मान्यता दे रहा है, जो पर्यटन के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक विरासत और सतत विकास के प्रचार और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।
UNWTO
- विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जिसे जिम्मेदार, टिकाऊ और सार्वभौमिक रूप से सुलभ पर्यटन को बढ़ावा देने का भार सौंपा गया है।
- इसकी स्थापना 1975 में मैड्रिड, स्पेन में मुख्यालय के साथ की गई थी।
- यह पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो आर्थिक विकास के चालक के रूप में पर्यटन को बढ़ावा देता है।
UNWTO 'सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव' का लेबल
- एक गांव जो अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपत्तियों को मान्यता प्रदान करता है, ग्रामीण और समुदाय-आधारित मूल्यों, उत्पादों, जीवन शैली को संरक्षित और बढ़ावा देता है, और अपने सभी पहलुओं - आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण में नवाचार और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है, को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के लेबल के लिए चुना जाएगा।
सूची में तीन भारतीय गांव
- तीन भारतीय गांवों, अर्थात् लधपुरा खास, मध्य प्रदेश; कोंगथोंग गांव, मेघालय और पोचमपल्ली गांव, तेलंगाना ने इस सूची में जगह बनाई।
लधपुरा खास, MP
- मध्य प्रदेश न केवल वन्य जीवन और किलों का घर है, बल्कि अपनी हस्तशिल्प, कलाकृति और अन्य सांस्कृतिक परंपराओं के लिए भी जाना जाता है।
- लढपुरा खास गांव मध्य प्रदेश में टीकमगढ़ जिले की ओरछा तहसील के कस्बे के पास स्थित है।
- राज्य के एक अन्य पर्यटन स्थल- ओरछा के कई स्मारकों का दौरा करने के साथ-साथ कोई भी स्थानीय , ग्रामीण जीवन शैली का अनुभव कर सकते हैं।
कोंगथोंग, मेघालय
- कोंगथोंग,व्हिस्लिंग गांव के रूप में भी जाना जाता है। यहां बच्चे के जन्म के समय से ही उसके साथ एक विशेष प्रकार की ‘ध्वनि या धुन’ जोड़ दी जाती है, और यह गांव इस अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है।
- यह अनोखा भारतीय गाँव किसी व्यक्ति को नाम के स्थान पर एक विशेष धुन का उपयोग करता है।
पोचमपल्ली, तेलंगाना
- तेलंगाना में पोचमपल्ली गाँव को भारत की इकत राजधानी के रूप में जाना जाता है।
- इसका एक समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
- यादाद्री-भुवनगिरी जिले में स्थित, भूदान पोचमपल्ली अपने हथकरघा काम के लिए जाना जाता है, जिसमें नाजुक हाथ से बुनी हुई इकत साड़ी शामिल है।
- पोचमपल्ली साड़ी को 2005 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग भी मिला।
- यह स्थान इतिहास से भी जुड़ा है।
- आचार्य विनोबा भावे ने पोचमपल्ली गांव से ही भूदान आंदोलन शुरू किया और धनी भूमि मालिकों को भूमिहीन लोगों को जमीन देने के लिए कहा।
- इस स्थान ने अपनी परंपरा को बरकरार रखा है, जो UNWTO की सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के लेबल के लिए एक आवश्यकता है।